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जनवरी, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

नैतिकता वाला तमाचा!

हमारे भारत देश में एक संस्कृत का श्लोक बहुत बोला जाता है। 'यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमन्ते तत्र देवता' अर्थात जहाँ नारी को देवी का दर्जा मिलता है या नारी को देवी के समान माना जाता है वहा देवता निवास करते है। जब भी हमारे देश में नारी के मानसमान से जुड़ी कोई अप्रिय घटना होती है तो ,हमारे देश की जानी-मानी हस्तियाँ अपने अपने बयान देती है उस पर दुःख प्रकट करना नही भूलती हैं! लेकिन कल फिल्म डायरेक्टर संजयलीला भंसाली को कुछ करनी सैनिको ने नैतिकता का पाठ पढ़ाने के लिए एक थप्पड क्या मार दिया पुरा बॉलीवुड ही " अति दुःखद घटना" अति दुःखद घटना का रोना रो रहा है। यह वही बॉलीवुड जो नारी अस्मिता का हितैसी होने का दिखावा करता है वो ही बॉलीवुड आज चित्तौड़ की रानी पद्मिनी जो इतिहास में अमर और राजपुतो के साथ साथ हिंदुओ के लिए एक आदर्श है। हमने उन्हें देवी के समान दर्जा दिया है।उनके त्याग और बलिदान को देखते हुए  आज उनके इतिहास को भंसाली तोड़ मरोड़ कर , सच्च को झूठ बना कर जनता के सामने रखने जा रहा था इसका विरोध हर सभ्य समाज करेगा ही । ऐसा ही करनी सैनिको ने किया तो इसमें बुरा क्या किया ?? आखिर

मैं हिंदी हूँ!

जितनी विशाल उन्नत और गौरवशाली हमारी संस्कृती है, उतना ही उन्नत हमारा हिंदी साहित्य हैं! अगर ऐसा कहा जाये की दुनियां कि सबसे खुबसूरत भाषा हिंदी हैं,तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नही होगी ! नि:संदहे हैं भी। एक भाषा की खुबसूरत का पता उसके काव्ये साहित्य से चलता हैं, कविता अपने आप में भाषा की खुबसूरती को बयां करती है! कविता भाषा की जान होती है! हिंदी का उद्भव तो संस्कृत से हुआ ,परंतु हिंदी कविता का उद्भव तो कई native / रोजमर्रा की जिंदगी में बोले जाने वाली भाषाओं को मिला कर हुआ उदहारण के लिये उर्दू, ब्रज,राजस्थानी,भोजपुरी इत्यादी! इस कारण हिंदी कविता की खुबसूरती में चारचांद लग गए! हिंदी कविता की सबसे शानदार बात तो ये है कि हिंदी कविता में जितने इमोशन्स है उतने किसी और भाषा में नही होंगे! हिंदी कविता व्यक्ति के आन्तरिक भावो को बेखूबी उजागर करती हैं! इसमें हास्ये है, इसमें कृदन है,इसमें जोश है, और हर प्रकार की मानविय भावो को बेखूबी प्रकट करने की समता है! इसके बहुत सारे उदारण हमारे सामने है। कबीर,रसखान,जायसी,दादू,मीरा,बच्चन,निराला और भी बहुत....! मै इस बात को बड़े अदब और शान से मानता हूं कि मे