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दिसंबर, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

उपभोक्तावाद , (Marketing and our daily life! )

कहते है ना एक बच्चा वही करता है। वही सिखता है जो वो रोज देखता है सुनता है! हमारे आज के आधुनिक जीवन के हर क्षत्र में मर्कीटिंग का बहुत बड़ा असर है! सुबह से शाम तक हम मार्कटिंग के साये में जीते है। 'मार्कटिंग' जितना छोटा ये शब्द है। इस से कही ज्यादा विशाल इसका असर है हमारे आपके जीवन में है ! जीवन की छोटी से छोटी जुरूरत से लेकर बड़ी से बड़ी जुरूरत की आज मार्कटिंग होती है। मार्कटिंग को हम थोड़ा सिम्पल शब्द /अर्थ में समझ तो हम इससे advertising बोल सकते है! मार्कटिंग / एडवरटाइजिंग करना कोई बुरी बात नही! ये तो एक तरीका है आपके प्रोडक्ट को पेरमोट करने का और अपने products के features को कस्टमर्स को बताने का ! लेकिन प्रॉब्लम तब हो जाती है जब कोई अपने प्रोडक्ट को बेचने के लिए फाल्स/झूठी मार्कटिंग का सहारा लेता है। जोकी आजकल हर दूसरा प्रोडक्ट कम्पनीज करती है। मार्किटिंग का असर आजकल इतना ज्यादा है ,की हम बिना मार्किटिंग वाले प्रॉडक्ट की तरफ देखते ही नही! चाह वह क़्वालिटी में बेस्ट ही क्यों नही हो। अगर हमें कोई छोटी से छोटी वस्तु ही क्यों नही ख़रीदनी हो हम कुछ बाते जरूर देखते है। जैसे की इसका

हमारी सभ्यता और आधुनिक विज्ञान (Our civilization and modern science)

हमारा भारत देश प्राचीन काल से ही अपनी महान सभ्यता और अपनी वभैवशाली संस्कृति के कारण दुनियां भर में विश्वगुरु के रूप में जाना जाता रहा है.. इस भारत भूमि ने दुनिया को योग,तप, जप और खगोलीय गणितये ज्ञान से अवगत कराया हैं । हम ने ही दुनिया को नास्तिक से आस्तिक  बनाया हैं । रामायण और महाभारत जैसे पवित्र और अनमोल ग्रंथो ने दुनियां में इंसान को जीवन जीने के तरीको से अवगत कराया हैं! आज जिस विज्ञान के प्रगति का दुनियां ढोल पीट रही हैं, उस से कही उत्तम और उच्चकोटी का विज्ञान का विकास भारतवर्ष ने कई हज़ारों साल पहले ही कर लिया था ! इसका जीते-जगते कई उदारण मिलते हैं । लेकिन प्रशन ये उठता है कि वो इतना प्रगतीशाली भारतवर्ष आज कहा है? कहा खो गई हमारी वो विश्व धरोहर ? हमारे संस्कारों में एक वाक्य है "पिता अपनी धरोहर अपने पुत्र को सौपता हैं, ताकी उसकी थाती और ज्यादा प्रगती कर सके" अगर पुत्र क़ाबिल होगा तो उसकी रक्षा करने का कार्य तो करेगा ही साथ ही साथ में उसको और महान का प्रयास भी  करेगा ! परन्तु अगर वो काबिल नही होगा तो , जो हैं उसी को गवा बैठगा । और भारतवर्ष के साथ भी यही हुआ ! हम न अपने प