कहते है ना एक बच्चा वही करता है। वही सिखता है जो वो रोज देखता है सुनता है! हमारे आज के आधुनिक जीवन के हर क्षत्र में मर्कीटिंग का बहुत बड़ा असर है! सुबह से शाम तक हम मार्कटिंग के साये में जीते है।
'मार्कटिंग' जितना छोटा ये शब्द है। इस से कही ज्यादा विशाल इसका असर है हमारे आपके जीवन में है !
जीवन की छोटी से छोटी जुरूरत से लेकर बड़ी से बड़ी जुरूरत की आज मार्कटिंग होती है। मार्कटिंग को हम थोड़ा सिम्पल शब्द /अर्थ में समझ तो हम इससे advertising बोल सकते है!
मार्कटिंग / एडवरटाइजिंग करना कोई बुरी बात नही! ये तो एक तरीका है आपके प्रोडक्ट को पेरमोट करने का और अपने products के features को कस्टमर्स को बताने का ! लेकिन प्रॉब्लम तब हो जाती है जब कोई अपने प्रोडक्ट को बेचने के लिए फाल्स/झूठी मार्कटिंग का सहारा लेता है। जोकी आजकल हर दूसरा प्रोडक्ट कम्पनीज करती है। मार्किटिंग का असर आजकल इतना ज्यादा है ,की हम बिना मार्किटिंग वाले प्रॉडक्ट की तरफ देखते ही नही! चाह वह क़्वालिटी में बेस्ट ही क्यों नही हो।
अगर हमें कोई छोटी से छोटी वस्तु ही क्यों नही ख़रीदनी हो हम कुछ बाते जरूर देखते है। जैसे की इसका AD आता है या नही ? इसका AD कोई स्टार करता है या कोई छोटा टीवी एक्टर Etc..! माफ़ करना यह पढकर आपको थोड़ा हस्येस्पद जरूर लग सकता है! पर जनाब या बिलकुल सच्च है!और शायद कही ने कही आप भी इस बात को स्वीकार करते होंगे! लेकिन सवाल यह है कि आख़िर हम अपना विवेक का इस्तेमाल क्यों नही करते? क्यों हम जूठी मार्कटिंग का शिकार होते है ? क्या आज अपने लिए कोई कथाकथित क़्वालिटी प्रोडक्ट ही सबकुछ है??
या फिर हम अपना सोशल स्टैटस का दिखावा करने के लिए तो ब्रैंड्स के पीछे तो नही भाग रहे ? अगर ऐसा है तो यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है!
हम उपभोक्ता है ! 'उप' का हटाकर केवल भोक्ता नही बनना है, ये बात सिर्फ किसी चीज को खरीदने या ना खरीदने भर की नही हैं बल्की अपने स्व विवेक का इस्तेमाल करने की हैं आख़िर इंसान है और हमारे पास हमारा अपना दिमाग है। तो फिर किसी और के दिमाग़ से क्यों सोचे ?
संत भोलाराम जी देवरी धाम दोस्तों आज हम आपको बातयंगे एक ऐसे स्थान के बारे जो हज़ारों लोगो की आस्था का केंद्र है, राजस्थान के जोधपुर जिले के रतकुड़िया गांव में स्थित है भोलाराम जी महाराज की देवरी। समाधि स्थली का नाम ही देवरी धाम है। यह स्थली जोधपुर जिला अन्तर्गत भोपालगढ़ तहसील के रतकुडि़या गांव के पहाड़ पर स्थित है। इस पहाड़ का यह सबसे ऊँचा भाग है, इसका पूर्व नाम ‘‘देवरी मचाल’’ था जिसका शाब्दिक अर्थ है, देवताओं की भूमि, बूढ़े-बुजुर्गों के अनुसार यह भूमि पूर्व में भी किसी महान् संत की तपस्या स्थली थी। जिसको संत श्री भोलाराम जी महाराज ने भजन करके इस भूमि को पुनः जागृत कर जिज्ञासुओं के लिए आत्मचिंतन केन्द्र व आस्थाशीलों के लिए पवित्र स्थल बना दिया। इस पवित्र धाम का वर्तमान इतिहास मात्र 78 वर्ष का ही है, इस अल्प अवधि में यह स्थल धार्मिक पर्यटक स्थल का रूप ले चुका है। दूर-दराज से रोज सैकड़ों भक्तजन अपने-अपने दुखः निवारण हेतु आते हैं तथा हँसते हुए जाते देखे जा सकते हैं। यहाँ स्थित है भोलाराम जी महाराज की जिवित समाधि स्थल। जहाँ आज बना है भव्य मंदिर यहाँ हर साल बरस
Shandaar
जवाब देंहटाएंBahut shandaar likha hkm
जवाब देंहटाएंWaiting for next blog
जवाब देंहटाएंVery true.. appreciate it
जवाब देंहटाएंYour blog is Very very near to the reality I fully agree with your writing and I really always waiting for next blog keep writing waiting for next blog with ❤ sir
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