आज ही के दिन भारत में दुनिया के एक महान फ़क़ीर का जन्म हुआ जिन्हे दुनिया बड़े प्यार से महात्मा बुलाती है। जी हां मैं बात कर रहा हु मोहन दाश कर्मचंद गाँधी की ।
जिन्होंने दुनियाभर में शाति सत्य भाईचारा और अहिँसा का सन्देश दिया
इस इस मरने मारने के युग में अगर कोई शान्ति सत्य अहिंशा की बाते कर तो जरूर हांस्यस्पद ही लगेगी! बापू इस बात को बहुत अच्छी तरह से जानते थे ।
फिर भी बापू अपने सिद्धान्त पर अड़े रहे और दुनिया को देखा दिया के सत्य और अहिंसा की बाते कपोल कल्पना नही है इनको अपने वास्तिवक जीवन में उतरा जा सकता है
इसका उदारण हम बापू के जीवन से ले सकते है बापू जीवन भर दो कपड़ो में रहे , जीवन भर ग़रीबो और निःशक्त जानो के साथ रहे बापू को कभी राजनीतिक मोह नही रहा । उस समय बापू चाहेते तो देश के प्रधानमंत्री बन सकते थे । उनके लोकप्रियता अद्भुत थी न केवल भारत में बल्कि पूरे दुनिया में । लकिन बापू को अपना फकरी जीवन प्यारा था । इतिहास में आज वो अमर है !
आज बड़े दुःख की बात है आज इस देश के ही कुछ लोग बापू को गालियाँ देते है उनके लिए अपसब्द बोलते है ।
में दावे के साथ बोल सकता हु उन लोगो न कभी गांधीवाद पढ़ी ही नही
ऐसे लोग क्या बापू को क्या जान पाएंगे ? यह इस देश का दुर्भाग्ये है की ऐसे महान आत्मा का तिरस्कार कर रहे है !
फिर भी बापू अपने सिद्धान्त पर अड़े रहे और दुनिया को देखा दिया के सत्य और अहिंसा की बाते कपोल कल्पना नही है इनको अपने वास्तिवक जीवन में उतरा जा सकता है
इसका उदारण हम बापू के जीवन से ले सकते है बापू जीवन भर दो कपड़ो में रहे , जीवन भर ग़रीबो और निःशक्त जानो के साथ रहे बापू को कभी राजनीतिक मोह नही रहा । उस समय बापू चाहेते तो देश के प्रधानमंत्री बन सकते थे । उनके लोकप्रियता अद्भुत थी न केवल भारत में बल्कि पूरे दुनिया में । लकिन बापू को अपना फकरी जीवन प्यारा था । इतिहास में आज वो अमर है !
आज बड़े दुःख की बात है आज इस देश के ही कुछ लोग बापू को गालियाँ देते है उनके लिए अपसब्द बोलते है ।
में दावे के साथ बोल सकता हु उन लोगो न कभी गांधीवाद पढ़ी ही नही
ऐसे लोग क्या बापू को क्या जान पाएंगे ? यह इस देश का दुर्भाग्ये है की ऐसे महान आत्मा का तिरस्कार कर रहे है !
आपके अहिंसा के पुजारी का कहना था “भले ही हम बर्तानिया (अँग्रेजी) सरकार के खिलाफ आजादी की जंग लड़ रहे हैं किंतु फिर भी आज हमारा शासक (अंग्रेज़) मुश्किल में है हमें भारतीयों को फौज में भर्ती होकर उसकी मदद करनी चाहिए |” अब बापू को अहिंसा याद नही आ रही
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआप की बातों से हम सहमत है
जवाब देंहटाएंPuri thare se sehmat hu apki baato se , bhut badaye likha ha keep it up
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