इश्क़ का रूहानी सफर एपिसोड 2
हर शाम डायरी के यू पन्ने भरना अब तो मेरा शग़ल बन गया है
कहते है ना, diary is the best friend of Isolated people!
यह मुझे पर बिल्कुल सही चरितार्थ होता है!
कभी मै कहता था कि
कि जज्बातों का हाल ऐ बयां करने के लिये कोई हमसफर होना चाहिये, लेकिन अब मै ही कहता हूँ हमसफर नही बस कोई माध्यम होना चाहिए ताक़ि हम अपने जज्बातों को बयां कर सके! चाह वो डायरी ही क्यों ना हो
किसी रोज उसने मुझे पुछा था क्या तुम डायरी लिखतें हो ?,मैने हँसते हुए कहा,था की डायरी क्या लिखना हमारी ज़िन्दगी के लम्हे इतने भी छोटे नही होने चाहिए कि चंद कागज के पन्नो में सिमट जाये!
लेकिन मैं और मेरी तन्हाई ने ज़िंदगी के उसूल बदल दिये! तुम्हारे चले जाने के बाद,
कई बार मैं अपनी डायरी से सवाल करता हूँ कि
कुछ लोग हमारे ज़िंदगी मे आते ही क्यों है और आते है तो फिर चले क्यो जाते है ?
लेकिन यह डायरी सब कुछ सुन लेती है बड़ी खामोसी से पर पलट कर कोई जबाब नही देती
,ना जाने कितने ही राज दफन कर रखे है इसने अपने सीने में! मेरी तरह! लेकिन अब से मैने तय किया है कि मेरे सीने में उठ रहा जज्बातों के ज्वर को ज़िंदगी की कसमकश से आज़ाद कर दूंगा और डायरी के हवाले करूँगा ताक़ि भारी भरकम यादों के बोझ से थोड़ा हल्का महसूस कर सकु!
कॉलेज खत्म होने के साथ साथ मेरी ज़िन्दगी से जुड़े कई अध्याय भी खत्म हो गये! मेरी यह ज़िन्दगी इतनी जल्दी इतनी बदल जायेगी मैने कभी कल्पना नही की थी!
कभी अल्हड़ फ़कीरी सा रहने वाला लड़का..एकदम से
ज़िन्दगी के साथ इतनी संजीदगी से पेश आयेगा
शायद ही किसी ने सोचो होगा! स्वयं मैने भी नही!
कहते है ना वक्त की ठोकर बड़ी प्रबल होती यह इंसान को, काल्पनिक जगत की उड़ान भरने वाले व्यक्ति को अर्श से फर्श पर ला पटकती है और कड़वी वास्तविकता से अवगत करा देने वाला इंसान बना देती है!
ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ था ,जिसने मेरे ज़िन्दगी जीने के लहज़े को ही बदल के रख दिया..!
इस एपिसोड को देखने के लिये यह क्लिक करे!
https://youtu.be/UbxQJo-VPa8
हर शाम डायरी के यू पन्ने भरना अब तो मेरा शग़ल बन गया है
कहते है ना, diary is the best friend of Isolated people!
यह मुझे पर बिल्कुल सही चरितार्थ होता है!
कभी मै कहता था कि
कि जज्बातों का हाल ऐ बयां करने के लिये कोई हमसफर होना चाहिये, लेकिन अब मै ही कहता हूँ हमसफर नही बस कोई माध्यम होना चाहिए ताक़ि हम अपने जज्बातों को बयां कर सके! चाह वो डायरी ही क्यों ना हो
किसी रोज उसने मुझे पुछा था क्या तुम डायरी लिखतें हो ?,मैने हँसते हुए कहा,था की डायरी क्या लिखना हमारी ज़िन्दगी के लम्हे इतने भी छोटे नही होने चाहिए कि चंद कागज के पन्नो में सिमट जाये!
लेकिन मैं और मेरी तन्हाई ने ज़िंदगी के उसूल बदल दिये! तुम्हारे चले जाने के बाद,
कई बार मैं अपनी डायरी से सवाल करता हूँ कि
कुछ लोग हमारे ज़िंदगी मे आते ही क्यों है और आते है तो फिर चले क्यो जाते है ?
लेकिन यह डायरी सब कुछ सुन लेती है बड़ी खामोसी से पर पलट कर कोई जबाब नही देती
,ना जाने कितने ही राज दफन कर रखे है इसने अपने सीने में! मेरी तरह! लेकिन अब से मैने तय किया है कि मेरे सीने में उठ रहा जज्बातों के ज्वर को ज़िंदगी की कसमकश से आज़ाद कर दूंगा और डायरी के हवाले करूँगा ताक़ि भारी भरकम यादों के बोझ से थोड़ा हल्का महसूस कर सकु!
कॉलेज खत्म होने के साथ साथ मेरी ज़िन्दगी से जुड़े कई अध्याय भी खत्म हो गये! मेरी यह ज़िन्दगी इतनी जल्दी इतनी बदल जायेगी मैने कभी कल्पना नही की थी!
कभी अल्हड़ फ़कीरी सा रहने वाला लड़का..एकदम से
ज़िन्दगी के साथ इतनी संजीदगी से पेश आयेगा
शायद ही किसी ने सोचो होगा! स्वयं मैने भी नही!
कहते है ना वक्त की ठोकर बड़ी प्रबल होती यह इंसान को, काल्पनिक जगत की उड़ान भरने वाले व्यक्ति को अर्श से फर्श पर ला पटकती है और कड़वी वास्तविकता से अवगत करा देने वाला इंसान बना देती है!
ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ था ,जिसने मेरे ज़िन्दगी जीने के लहज़े को ही बदल के रख दिया..!
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