दोस्तो स्वागत है आपका मेरे ब्लॉग में,दोस्तो आज में आपको बताऊंगा की एक positive life के टिप्स और इसी तरह के Philoshopical विचार जानने के लिये विजिट करते रहे मेरा ब्लॉग पेज और मुझसे जुड़े यूट्यूब से मेरा यूट्यूब चैनल है "philoshopical world" आप इस चैनल को यूट्यूब पर सर्च करे https://www.youtube.com/channel/UCPYYW3Hd3pTt4JnoPUCrElA और suscribe जरूर करे
दोस्तो ज़िंदगी से अनमोल गिफ़्ट कुछ नही हो सकता, अगर ज़िन्दगी खुशनुमा और हैल्थी हो तो क्या कहने ! यह तो सोने में सुहागा है। इंसान परमात्मा की सबसे प्यारी रचना है , यह सबसे अक्लमंद ,सुंदर रचना है परमात्मा की!
लेकिन आज की इस भागदौड़ की ज़िंदगी मे ऐसा लगता है मानो सब कुछ रटा रटाया सा हो रहा है और ज़िन्दगी इतनी रफ्तार से भाग रही है कि हमे अपने आप के वजूद का अहसास तक नही हो रहा, हम तो बस किसी मशीन की तरह काम किये जा रहे है दिन रात ! क्या यही ज़िन्दगी है ?? नही बिल्कुल नही !
जीवन मे सबसे ज्यादा जरूरी है, ज़िंदा हो तो ज़िंदा होने का अहसास होना, तब ही आप ज़िंदगी के गणित को समझ सकते हो ,अन्यथा यह जीवन आपको बेकार ही लगेगा जिसके जिम्मेदार सिर्फ आप है ! आप का कर्म ही आपके साथ होने वाले अच्छे बुरे का जिम्मेदार है, ज़िंदगी की philosophy तो यही कहती है! आप तो बस अच्छा कर्म करते जाओ बाकी सब अपने आप ही होगा ! जैसा कि भागवत गीता में भी कर्म की विस्तृत व्याख्या की गई है वो हमारे वास्तविक जीवन मे बिल्कुल सही और सटीक साबित होती है,
अब एक सवाल आपके मन मे जरूर उठता होगा, कि कोनसे और कैसे कर्म व्यक्ति को करने चाहिए ? जिनको की उच्चतम कोटी का माना जा सकता है!
इसका कोई मनोवैज्ञानिक नही सीधा साधा सा जबाब है, वह कर्म जो आपको अपने स्पष्ट लक्ष्य की और अग्रेषित करे, जीवन मे कोई भटकाव ना लाये वो कर्म ही उत्तम है । हर व्यक्ति का अपने जीवन में एक महान ultimate लक्ष्य होना ही चाहिए, बिना लक्ष्य के जीवन व्यर्थ है ,बेकार है । जहाँ आप को जाना है और आप को उस जगह का पता ही मालूम नही है तो आपका भटकना तो तय है। और अगर आपको पता मालूम हो तो, आप का अपने लक्ष्य को आसानी से प्राप्त कर सकते है! और इसी का नाम जीवन है ,प्रचीन भारतवर्ष में ऋषि मुनियों ने वेदों और पुराणों में इस विषय पर बहुत कुछ लिखा है,जिस के बारे मे, मैं अपने आने वाले ब्लोग्स में जरूर लिखूँगा।
जीवन मे सबसे ज्यादा जरूरी है, ज़िंदा हो तो ज़िंदा होने का अहसास होना, तब ही आप ज़िंदगी के गणित को समझ सकते हो ,अन्यथा यह जीवन आपको बेकार ही लगेगा जिसके जिम्मेदार सिर्फ आप है ! आप का कर्म ही आपके साथ होने वाले अच्छे बुरे का जिम्मेदार है, ज़िंदगी की philosophy तो यही कहती है! आप तो बस अच्छा कर्म करते जाओ बाकी सब अपने आप ही होगा ! जैसा कि भागवत गीता में भी कर्म की विस्तृत व्याख्या की गई है वो हमारे वास्तविक जीवन मे बिल्कुल सही और सटीक साबित होती है,
अब एक सवाल आपके मन मे जरूर उठता होगा, कि कोनसे और कैसे कर्म व्यक्ति को करने चाहिए ? जिनको की उच्चतम कोटी का माना जा सकता है!
इसका कोई मनोवैज्ञानिक नही सीधा साधा सा जबाब है, वह कर्म जो आपको अपने स्पष्ट लक्ष्य की और अग्रेषित करे, जीवन मे कोई भटकाव ना लाये वो कर्म ही उत्तम है । हर व्यक्ति का अपने जीवन में एक महान ultimate लक्ष्य होना ही चाहिए, बिना लक्ष्य के जीवन व्यर्थ है ,बेकार है । जहाँ आप को जाना है और आप को उस जगह का पता ही मालूम नही है तो आपका भटकना तो तय है। और अगर आपको पता मालूम हो तो, आप का अपने लक्ष्य को आसानी से प्राप्त कर सकते है! और इसी का नाम जीवन है ,प्रचीन भारतवर्ष में ऋषि मुनियों ने वेदों और पुराणों में इस विषय पर बहुत कुछ लिखा है,जिस के बारे मे, मैं अपने आने वाले ब्लोग्स में जरूर लिखूँगा।
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