Philosophical world travel diary project presentation..
भैसाद माता मंदिर खेजडला, राजस्थान
मंदिर प्रवेश द्वार
भैसाद माता का मंदिर जोधपुर राजस्थान के खेरजला गांव में स्थित है
कहा जाता है माँ भैसाद माता सत्रह सौ वर्ष पूर्व हर्षवर्धन के काल में भैंसे पर सवार होकर गुफा के रास्ते यहां खेजड़ला की पहाड़ी पर पहुंची थी
द्वार द्र्श्य
नवरात्र के नौ दिनों तक यहां मेले सा माहौल बना रहता है। । भैसाद माता के यहां आने के रास्ते वाली गुफा आज भी
श्रद्धालुओं के लिए कौतूहल का विषय है।
बताया जाता है कि इस गुफा का एक सिरा बिलाड़ा सरहद में स्थित डिंगड़ी माता मन्दिर पर निकलता है
मुख्ये मंदिर में जाने हेतु पौड़ीया
तथा दूसरा सिरा जोधपुर मेहरानगढ दुर्ग में निकलता है।
भैसाद माता के यहां आने पर खेजड़ला ठिकाने की ओर से जोधसिंह एवं शक्तिसिंह ने पहाड़ी पर मन्दिर का निर्माण करवाया
तथा नौ गृहों के रूप में नौ गृह स्वामियों की प्रतिमाएं स्थापित की। यहां उस संत की जीवित समाधि भी स्थित है, जिन्होंने भैसाद माता को प्रत्यक्ष रूप से देखा और उनका मुंह टेढ़ा हो गया था।
पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर प्रकृतिक रूप से बहुत सुंदर और शांतिमय अनुभव कराने वला है,
हवा में झूलती चट्टान
मंदिर से थोड़ा नीचे एक बड़ी सी चट्टान है
कहा जाता है कि यह चट्टान गांव वालों पर गिरने वाली थी लेकिन माता ने अपने पैर से इस चट्टान को रोक था, आज भी यह चट्टान नीचे की ओर झुकी हुई है और लगभग हवा में झूलती हुई लगती है, लोग अपनी मन्नत मांगने के बाद एक सिक्का चट्टान पर चिपकाते है, जिनका सिक्का चिपक जाता है उनकी मनोकामना पूर्ण होती है ऐसा माना जाता है
पूरा मंदिर देखने के लिये इस वीडियो को जुरूर देखे
video
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें