Ishq kaa Ruhaani safar ek love story
Ishq kaa Ruhaani safar ek love story Episode 4
उस शाम मैं पूरी रात करवटे बदलता रहा,
मेरे दिल और दिमाग अजीब सी कसमकस में थे!
मन मे उठ रहे सवालो का बवण्डर थमने का नाम ही नही ले रहा था...!
आखिरकार मैं पलंग से उठा और अपनी हैंड वॉच की ओर देखा तो ,घड़ी की सुईया रात की 2 बजने की ओर दौड़ रही थी!
मुझे यह रात आज कुछ लंबी लगने लगी थी और,
मुझे अब बेसब्री से सुबह होना का इंतजार था..
मै किसी भी तरह आंखे बंद कर के सो गया!
सुबह एक मोटी आवाज़ ने मेरे कानों में कोलाहल मचा रखा था!
जब मैने अलसाई आधी खुली आंखों को जबरदस्ती खोल के देखा तो
समीर हाथ मे पानी का जग लिये मेरे ऊपर डालने की धमकी दे रहा था!
मैने आँखे मलते हुऐ घडी की तरफ देखा
सुबह के 7 बजकर 9 मिनेट होने को थे! मैने समीर के ऊपर खीजते हुऐ कहा था
कब से पानी डाल दूंगा पानी डाल दूंगा की धमकी दे रहा है अच्छा होता पानी डाल दिया होता तो थोड़ा जल्दी उठ जाता !
मैं रजाई फेंक के उठ खड़ा हुआ, समीर मुझे संदहे भारी नज़रो से देखे हुऐ बोला था
वाह भाई नेकी कर और कुएं में डाल!
कमाल है भलाई का तो जमाना ही नही है!
समीर मेरा एकमात्र ऐसा मित्र है जो हमेसा हर परिस्थिति में मेरे साथ खड़ा रहता है, चाहे मैं गलत ही क्यों ना हूँ,
लेकिन ऐसा नही है कि वो मुझे सच्च से रूबरू नही करवाता , बेशक वो करवाता है
, जब मै कभी गलत होता हूँ तो, एक वोही तो है जो मेरी गलती मेरे मुँह पर बोलता है,
हालांकि यह बात अलग है कि
फिर भी साथ तो मेरा ही देगा! हम दोनों लंगोटिया यार तो नही है
पर फिर भी ऐसा लगता है हम दोनों लंगोटिया यार से कही बडकर हैं
अक्सर हमारी दोस्ती की तुलना लोग कृष्ण सुदामा की दोस्ती से कर लेते है!
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