सेंसर बोर्ड ने भारी कॉन्ट्रवर्सी को देखते हुए फ़िल्म पद्मावती का नाम पद्मावत रख दिया है , लेकिन फिर भी राजपूत समाज मे फ़िल्म को लेकर विवाद थमने का नाम नही ले रहा...
केन्द्रीय फ़िल्म सेंसर बोर्ड ने फ़िल्म को रिलीज़ करने की डेट भी घोषित कर दि है
इसकी रिलीज की नई रिलीज डेट है 25 जनवरी 2018 को रखा है, लेकिन वही राजपूत समाज फ़िल्म की रिलीज रोकने के स्टैंड पर कायम है!
देखने वाली बात यह हैं ,आखिर फ़िल्म रिलीज होती है या नही! और अगर फ़िल्म रिलीज़ होती है तो viwers को सेफ्टी सिक्योरटी की गारंटी को देंगा ??
यह भी बेहद अहम सवाल हैं ।
दोस्तों फिल्मे एक entertainment का जरिया होती है, जब लोग अपने काम से बोर हो जाते है , तब फ़िल्म देखकर अपनी बोरियत मिटाते है!
लेकिन जब फिल्म्स ही किसी हिस्टोरिकल इवेंट्स को गलत तरीके से दिखाती है तो ,निहायती दुर्भाग्ययेपूर्ण है, लोग फ़िल्म entertainment के लिये देखने आते है ने की ,अपनी भावना आहत करने के लिये!
फ़िल्म मेकर्स यह जितना जल्दी समझ ले उतना अच्छा है।
कभी कभार कुछ फ़िल्म मेकर्स अपनी फिल्म का permotion करने के लिये फिल्म्स को जान बूझ कर कॉन्ट्रवर्सी में फॅसा देते है, इसके बहुत से उदारण भारतीये फ़िल्म इंडस्ट्रीज में देखने को मिलते है। जैसे PK फ़िल्म,जोधा अकबर फ़िल्म इत्यादि
आखिर ऐसा क्यों होता है ? इसके पीछे एक बहुत बड़ा REASON छुपा हुआ है! जो आपको हिला कर रख देगा।
वास्तव में यह एक मार्कटिंग, एडवर्टाइजिंग है, जिसे आप आसानी से नही समझ सकते है, यह आपको इमोशनली किसी भी product की तरफ आकर्षित करती है,और अपने product को लोगो की नज़र में लाती है।
एक बार जब product लोगो की नज़र में आ जाता है तो,लोग उसकी तरफ आकर्षित जुरूर होंगे ! और उसको लेकर लोगो मे एक जिज्ञासा बड़ जाती है
बस वही से शुरू होता है, इनकी डर्टी मर्कीटिंग का फंडा, तब फ़िल्म नही देखने वाले भी फिर वो फ़िल्म देखेंगे क्यों ???
Because of contrary !
देखने वाली बात यह हैं ,आखिर फ़िल्म रिलीज होती है या नही! और अगर फ़िल्म रिलीज़ होती है तो viwers को सेफ्टी सिक्योरटी की गारंटी को देंगा ??
यह भी बेहद अहम सवाल हैं ।
दोस्तों फिल्मे एक entertainment का जरिया होती है, जब लोग अपने काम से बोर हो जाते है , तब फ़िल्म देखकर अपनी बोरियत मिटाते है!
लेकिन जब फिल्म्स ही किसी हिस्टोरिकल इवेंट्स को गलत तरीके से दिखाती है तो ,निहायती दुर्भाग्ययेपूर्ण है, लोग फ़िल्म entertainment के लिये देखने आते है ने की ,अपनी भावना आहत करने के लिये!
फ़िल्म मेकर्स यह जितना जल्दी समझ ले उतना अच्छा है।
कभी कभार कुछ फ़िल्म मेकर्स अपनी फिल्म का permotion करने के लिये फिल्म्स को जान बूझ कर कॉन्ट्रवर्सी में फॅसा देते है, इसके बहुत से उदारण भारतीये फ़िल्म इंडस्ट्रीज में देखने को मिलते है। जैसे PK फ़िल्म,जोधा अकबर फ़िल्म इत्यादि
आखिर ऐसा क्यों होता है ? इसके पीछे एक बहुत बड़ा REASON छुपा हुआ है! जो आपको हिला कर रख देगा।
वास्तव में यह एक मार्कटिंग, एडवर्टाइजिंग है, जिसे आप आसानी से नही समझ सकते है, यह आपको इमोशनली किसी भी product की तरफ आकर्षित करती है,और अपने product को लोगो की नज़र में लाती है।
एक बार जब product लोगो की नज़र में आ जाता है तो,लोग उसकी तरफ आकर्षित जुरूर होंगे ! और उसको लेकर लोगो मे एक जिज्ञासा बड़ जाती है
बस वही से शुरू होता है, इनकी डर्टी मर्कीटिंग का फंडा, तब फ़िल्म नही देखने वाले भी फिर वो फ़िल्म देखेंगे क्यों ???
Because of contrary !
किसी भी प्रोडक्ट की मार्कटिंग के लिये इतनी बड़ी कॉन्ट्रवर्सी create करना ,नैतिक मूल्यों की धज्जिया उड़ाने जैसा है!
जब तक लोग इनकी मार्कटिंग style समझ पाते ,यह लोग अपने purpose में सफल हो चुके होते है!
अब इनकी मर्कीटिंग का best example देखिये , 25 जनवरी रीलिज date रखने के पीछे भी बड़ा logic है,
अपने product को मार्किट में उतारने के लिये लोग कुछ भी कर सकते है,
ऐसी निम्न स्तर की मार्कटिंग काफी हानिकारक है, यह इन फिल्ममेकर को समझ जाना चाहिए!
जब तक लोग इनकी मार्कटिंग style समझ पाते ,यह लोग अपने purpose में सफल हो चुके होते है!
अब इनकी मर्कीटिंग का best example देखिये , 25 जनवरी रीलिज date रखने के पीछे भी बड़ा logic है,
अपने product को मार्किट में उतारने के लिये लोग कुछ भी कर सकते है,
ऐसी निम्न स्तर की मार्कटिंग काफी हानिकारक है, यह इन फिल्ममेकर को समझ जाना चाहिए!
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