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आरक्षण का आधार क्या है ?

भारत जैसे विशाल देश में लोकतंत्र का महत्व बहुत ज्यादा है ,यह कहना अतिशयोक्ति नही होगा कि भारत की पहचान वर्तमान समय मे दुनियां का सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में होती हैं
लोकतंत्र का मतलब है "लोगो का तंत्र" लोकतंत्र तब ही लोकतंत्र हो सकता है जब आम जन की बात सुनी जाती हो ! इसके बिना ना तो लोक है ना तंत्र वो फिर "लोकतंत्र" नही "भीड़तंत्र" हो जाता हैं। और जब भीड़तंत्र हो जाता है वह लोकतंत्र नही रह सकता..। लोकतंत्र की सबसे अच्छी बात यह होती है कि जाति,धर्म ,सम्प्रदाय इत्यादी कि आधार पर भेदभाव नही होता है सभी नागरिकों को समानता का अधिकार मिला होता है यही लोकतंत्र की ब्यूटी है..लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि हमारे देश में बहुत से ऐसे कारक है जो लोकतंत्र का क्षरण कर रहे हैं यह धीरे धीरे सिस्टम को अन्दर से खोखला कर रहे है जिन में से आरक्षण भी बहुत बड़ा रोल निभा रहा हैं कुछ राजनैतिक लोग अपने फायदे और अपने वोटबैंक को बढ़ाने के लिये आरक्षण जैसी चीज़ो को बढावा देते हैं जो कि एक हैल्थी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए बहुत हानिकारक है
जहाँ एक ओर हमारा संविधान समानता और मौलिक अधिकारो की वकालत करता है ,वहीं आरक्षण जैसी व्यवस्था समानता के अधिकारो का खुला उपहास है जब संविधान ने हम सब को एकसमान माना है । तो जाती आधारित आरक्षण की आवश्कता कहाँ है ??
एक तरफ तो हमारा संविधान यह कहता है कि जाति धर्म और सम्प्रदाय के आधार पर भेदभाव नही किया जायेगा और वही दूसरी तरफ आरक्षण को जाती देखकर दिया जा रहा है आखिर यह किस हद तक सही है ??? और सोचने वाली बात तो यह है कि जिनको आरक्षण नही मिला है क्या वह सब अमीर है ?,उसकी क्या गारंटी है कि वह गरीब नही आखिर उन के बच्चों का क्या भविष्य होगा , क्या यह उनके साथ अन्याय नही है ?। दलित और महादलित जैसे शब्दो का इस्तेमाल राजनीति मे जम के होता है और स्वार्थी लोग इस भरपूर फ़ायदा भी उठाते हैं आज आरक्षण व्यवस्था को लगभग 60 साल का वक्त हो गया लेकिन इसका क्या परिणाम निकला ??? सिवाय हिंसक प्रदर्शनो के ! अगर समय रहते सरकार ने यह जातिगत आरक्षण व्यवस्था को बंद नही किया तो यह आंदोलन और प्रदर्शन ग्रहयुद्ध का रूप ले लेंगे जिसे रोकना बहुत मुश्किल होगा। सरकार को आरक्षण व्यवस्था की समीक्षा करनी चाहिए। अगर आरक्षण को हटाया नही जा सकता तो जातिगत आरक्षण की बजाय आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाना चाहिये । जो कि इस के वास्तविक हकदार है अगर सरकार आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू करती है तो इस के बहुत से फायदे है जैसे कि  1.जाति आधारित भेदभाव काम होगा ।
2.आर्थिक प्रगति होगी
3.आर्थिकरूप से पिछड़े लोगो को आगे आकर देश हित मे कार्य करने के मौके मिलेगे
4.अमीर गरीब की खाई ख़फ़ी हद तक पटेगी
5.आर्थिक ग्रोथ रेट बढ़ेगी
6.और सच्चे अर्थ में समानता का अधिकार मिलेगा
और भी अनेक फायदे है आर्थिक आधार पर आरक्षण देने के
और सबसे बड़ा फायदा इस से यह होगा कि दलित ,महादलित , अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति ,बैकवर्ड क्लासेज जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर के लोगो को कैटेगिरी में बाँटना नही होगा और इन के आधार पर राजनीति करने वालो की दुकानें बंद हो जायेगी लेकिन ऐसा
कोई राजनैतिक व्यक्ति कभी नही करेगा । ऐसा सिर्फ और सिर्फ जनता ही कर सकती है लेकिन एक बात तो तय है कि आरक्षण को एक ने एक दिन खत्म होना ही है। शायद तब जब यह अपनी चरम सीमा पर होगा! लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होगी।
यह जनता को समझना हो होगा!

टिप्पणियाँ

  1. Fir jati cast jankari bhed bhaw keyo hota.fir chuya chhutkey? sc,st çast ko ghori per keyo bathane se roka jata hai keyo? Pahle y sab band hoga to aarakshan bhi band ho jaygaj jab Tak atyachar hote rahega to kaise aarakshan band hota.bren wash kar rahe hai ya blog madhem se .utpat machana chahte hai.thanks

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